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हवन के मंत्रों के अर्थ

हवन के मंत्रों के अर्थ देव-यज्ञ के आरम्भ में आठ ईश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासना के मंत्रों को पढ़ने का विधान है। इन मंत्रों के अर्थ नीचे दिए हैं। ईश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासना के मंत्रों के अर्थ -हे शुद्धस्वरूप, सब सुखों के दाता, सकल जगत के उत्पत्तिकर्त्ता, समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप कृपा करके हमारे सम्पूर्ण [...]

हवन के मंत्रों के अर्थ2024-04-26T00:35:17+00:00

संध्या के मंत्रों के अर्थ

संध्या के मंत्रों के अर्थ -हे सर्वरक्षक परमेश्वर! आप प्राणों के प्राण, अर्थात सबको जीवन देने वाले, सब दुखों से छुड़ानेवाले, स्वयं सुखस्वरूप और अपने उपासकों को सुखों की प्राप्ति कराने वाले हैं। आप सकल जगत के उत्पादक, सूर्यादि प्रकाशकों के भी प्रकाशक, वरण अथवा कामना करने-योग्य, निरुपद्रवी [...]

संध्या के मंत्रों के अर्थ2023-09-26T14:10:24+00:00

दो भजन (दूसरा स्तर)

पहला भजन प्रभु जी इतनी सी दया कर दो, हमको भी तुम्हारा प्यार मिले। कुछ और भले ही मिले न मिले, प्रभु-भक्ति का अधिकार मिले। प्रभु जी इतनी सी दया कर दो, हमको भी तुम्हारा प्यार मिले। -2 सब कुछ पाया इस जीवन में, बस एक तमन्ना बाकी [...]

दो भजन (दूसरा स्तर)2023-02-12T14:13:46+00:00

हमारी सनातन संस्कृति का आधार वेद क्यों?

हमारी सनातन संस्कृति का आधार वेद क्यों?  वेदों की सार्थकता- परमपिता परमेश्वर ने सभी प्राणियों को इन्द्रियां आदि अवयव देने से पहले उनके विषयों की रचना कर दी। जैसे ऑंखें देने से पहले उस दयालु ईश्वर ने आँखों की देखने की शक्ति को सार्थक करने के लिए प्रकाशपुंज सूर्य व [...]

हमारी सनातन संस्कृति का आधार वेद क्यों?2023-01-19T14:36:47+00:00

दो तीन भजन (प्रथम स्तर)

पहला भजन ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनन के संकट, क्षण में दूर करे।।   जो ध्यावे फल पावे, दुख विनशे मन का। सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।।  मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। तुम बिन ओर न दूजा, आस करूं [...]

दो तीन भजन (प्रथम स्तर)2024-05-01T23:43:17+00:00

सनातन धर्म और आर्य समाज

सनातन धर्म और आर्य समाज आज हमारी संस्कृति विनाश के कगार पर है। सीमाओं की रक्षा के लिए तो हमारे सैनिक तैनात हैं, परन्तु हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए दयानन्द के शिष्य आवश्यक हैं। केवल दयानन्द के शिष्य ही हमारी विशिष्ट संस्कृति पर उठाए जाने वाले प्रश्नों का सही [...]

सनातन धर्म और आर्य समाज2023-01-16T16:13:57+00:00

हमारे पूर्वजों व हमारी संस्कृति की पश्चिमी संस्कृति से श्रेष्ठता

हमारे पूर्वजों व हमारी संस्कृति की पश्चिमी संस्कृति से श्रेष्ठता पूर्वज-आजकल की परिस्थितियां कुछ ऐसी बन गई हैं कि हम सत्य न जानने के कारण अपने पूर्वजों पर किए जाने वाले आक्षेपों का यथोचित उत्तर नहीं दे पाते। यह तब तक नहीं हो सकता, जब तक हमें अपने पूर्वजों के [...]

हमारे पूर्वजों व हमारी संस्कृति की पश्चिमी संस्कृति से श्रेष्ठता2023-07-09T14:06:44+00:00

पौराणिक भाइयों से प्रार्थना

पौराणिक भाइयों से प्रार्थना ब्रह्मकुमारी, राधास्वामी, गायत्री परिवार, स्वामी नारायण, इस्कॉन, आर्ट ऑफ़ लिविंग आदि के नाम से प्रसिद्धि पा रहे सम्प्रदाय इस देश की पुरानी ज्ञान-राशि की चर्चा न करके अपनी स्वतंत्र सत्ता सिद्ध करने में लगे हुए हैं। हमारे पौराणिक भाइयों ने वेद विरुद्ध मान्यताओं को [...]

पौराणिक भाइयों से प्रार्थना2023-03-10T11:13:04+00:00

कुछ पाश्चात्य विचारकों के वेद सम्बन्धित उद्धरण

कुछ पाश्चात्य विचारकों के वेद सम्बन्धित उद्धरण लॉर्ड मोर्ले घोषणा करते हैं-'वेदों में जो पाया जाता है, वह और कहीं नहीं है।' वेदों को सच्चा विज्ञान मानते हुए अमेरिकन लेडी व्हीलर विलोक्स लिखती हैं- 'हम सभी ने भारत के प्राचीन धर्म के बारे में सुना और पढ़ा है। [...]

कुछ पाश्चात्य विचारकों के वेद सम्बन्धित उद्धरण2022-09-29T14:31:59+00:00

कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिकों के ईश्वर सम्बन्धित उद्धरण

कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिकों के ईश्वर सम्बन्धित उद्धरण आजकल, पाश्चात्य भौतिक प्रधान देशों का अनुसरण करते हुए हमारे देश के शिक्षित वर्ग व बुद्धिजीवियों की ऐसी मानसिकता बन गई है, जिसके अनुसार ईश्वर नाम की कोई वस्तु वास्तव में है ही नहीं, यह मात्र कल्पना है, ईश्वर की उपासना, [...]

कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिकों के ईश्वर सम्बन्धित उद्धरण2023-09-21T14:44:03+00:00
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