बारे में

 

मेरा नाम रमण आर्य है और मैं 58 वर्ष का हूँ । मैं महर्षि दयानंद के दर्शन से अत्यंत प्रभावित हुआ हूँ । पिछले 32 वर्षों में मैंनें ऐसी कोई भी अध्यात्मिक उलझन नहीं देखी जो महर्षि दयानंद के दर्शन से ना सुलझ सकी हो । वस्तुतः केवल महर्षि दयानंद का दर्शन ही सभी तरह की अध्यात्मिक उलझनों का परिपूर्ण (perfect) समाधान करने में सक्षम है । समय के साथ साथ मेरे ऐसा मानने में दृढ़ता आ गई है । इस धरा पर अवैदिक मतमतांतरों के फैलने के पश्चात महर्षि दयानंद पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अध्यात्मिकता को हमारे आपसी व्यवहार से जोड़ा व अध्यात्मिकता के क्षेत्र में अंधविश्वास के स्थान पर बुद्धि को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया । महर्षि दयानंद के अनुसार किसी भी चीज़ पर विश्वास करने से पहले उसका बुद्धि सम्मत होना आवश्यक है ।

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