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यदि ईश्वर जीव को न बनाता और न सामर्थ्य देता, तो

प्रश्न ९– यदि ईश्वर जीव को न बनाता और न सामर्थ्य देता, तो जीव कुछ भी न कर सकता था। अतः ईश्वर की प्रेरणा से ही जीव कर्म करता है। यही मानना उपयुक्त है। उत्तर– जीवात्मा अनादि, अनुत्पन्न और अविनाशी है। श्रीमद्-भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय में भी कहा है- [...]

यदि ईश्वर जीव को न बनाता और न सामर्थ्य देता, तो2023-09-07T12:07:50+00:00

यदि ईश्वर जीव द्वारा किए जाने वाले कर्मों को साथ-साथ ही जानता है तो

शंका ८ – यदि ईश्वर जीव द्वारा किए जाने वाले कर्मों को साथ-साथ ही जानता है, तो उसका ज्ञान एकरस और अखण्डित कहाँ रहा? क्योंकि उसके ज्ञान में वृद्धि होती रहेगी। समाधान -  परमेश्वर अपनी सर्वज्ञता से जीवों के कर्म करने की क्षमता को, कर्म के प्रकारों को पूर्णतः जानता है। जिससे उसके [...]

यदि ईश्वर जीव द्वारा किए जाने वाले कर्मों को साथ-साथ ही जानता है तो2023-09-07T12:04:58+00:00

ईश्वर यदि भविष्यत् की बातों को नहीं जानता, तो वह सर्वज्ञ कहाँ रहा?

शंका ७ –ईश्वर यदि भविष्यत् की बातों को नहीं जानता, तो वह सर्वज्ञ कहाँ रहा? समाधान –  ईश्वर की सर्वज्ञता का अर्थ है-सभी जानने योग्य बातों को जानना। भविष्य में होने वाली घटनाएं दो प्रकार की होती हैं एक जो किसी नियम पर आधारित होती हैं। जैसे सूर्यादि का उदय -अस्त होना। [...]

ईश्वर यदि भविष्यत् की बातों को नहीं जानता, तो वह सर्वज्ञ कहाँ रहा?2023-09-07T12:01:12+00:00

परमेश्वर त्रिकालदर्शी है, इससे भविष्यत् की बातें जानता है।

शंका ६  – परमेश्वर त्रिकालदर्शी है, इससे भविष्यत् की बातें जानता है। वह जैसा निश्चय करेगा, जीव वैसा ही करेगा। इससे जीव स्वतन्त्र नहीं। और जीव को ईश्वर दण्ड भी नहीं दे सकता। क्योंकि जैसा ईश्वर ने अपने ज्ञान से निश्चित किया है, वैसा ही जीव करता है। समाधान –  ईश्वर को त्रिकालदर्शी [...]

परमेश्वर त्रिकालदर्शी है, इससे भविष्यत् की बातें जानता है।2023-09-07T11:59:09+00:00

मनुष्य को स्वतन्त्र कहना अनुचित है। क्योंकि ईश्वर की इच्छा बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता।

शंका ५ – मनुष्य को स्वतन्त्र कहना अनुचित है। क्योंकि ईश्वर की इच्छा बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता। समाधान –  उपनिषद् में कहा है-स्वाभाविकी ज्ञानबलक्रिया च। (श्वेताश्वर उपनिषद् ६//८) अर्थात् ईश्वर का ज्ञान, बल और क्रिया स्वाभाविक है। उसमें मनुष्य जैसी इच्छा नहीं है। क्योंकि इच्छा भी अप्राप्त, उत्तम और जिसकी प्राप्ति [...]

मनुष्य को स्वतन्त्र कहना अनुचित है। क्योंकि ईश्वर की इच्छा बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता।2023-09-07T11:57:31+00:00

जीवात्मा भविष्य में जो विचार करेंगें, उसका ज्ञान ईश्वर को पहले से हो सकता है या नहीं?

शंका ४ –जीवात्मा भविष्य में जो विचार करेंगें, उसका ज्ञान ईश्वर को पहले से हो सकता है या नहीं? समाधान- यह तो ईश्वर को पता है कि चुपचाप खाली तो कोई जीवात्मा बैठता नहीं, भविष्य में वह कुछ तो विचार करेगा। किस-किस तरह के विचार जीवात्मा कर सकते हैं, [...]

जीवात्मा भविष्य में जो विचार करेंगें, उसका ज्ञान ईश्वर को पहले से हो सकता है या नहीं?2023-09-07T11:55:50+00:00

क्या कोई हमारा भविष्यफल बता सकता है?

शंका ३ – क्या कोई हमारा भविष्यफल बता सकता है? समाधान- गणित में नियम हैः- संभावना का नियम अर्थात् लॅा आफ प्राबेबिलिटि- ये ज्योतिषी जितनी भी भविष्यवाणियाँ करते हैं, वे सभी लॅा आफ प्राबेबिलिट पर आधारित हैं। लॅा आफ प्राबेबिलिटि आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं, फिर उसने (ज्योतिषी [...]

क्या कोई हमारा भविष्यफल बता सकता है?2023-09-07T11:52:33+00:00

क्या व्यक्ति को बुरे कर्म करने के पश्चात अन्य सभी योनियों को भोगना पड़ेगा अथवा कुछ योनियों के पश्चात् वापस मानव जन्म मिलेगा?

समाधान– उत्तर हैः- एक व्यक्ति ने 20 हजार रुपये की चोरी की, दूसरे व्यक्ति ने दो अरब रुपये की चोरी की। वस्तुतः चोरी दोनों ने की, इसलिए दोनों अपराधी हैं। निःसन्देह दोनों को दण्ड मिलेगा। क्या दण्ड की मात्रा दोनों की समान रहेगी, या कम-अधिक? दण्ड की मात्रा कम-अधिक होगी। यदि [...]

क्या व्यक्ति को बुरे कर्म करने के पश्चात अन्य सभी योनियों को भोगना पड़ेगा अथवा कुछ योनियों के पश्चात् वापस मानव जन्म मिलेगा?2023-09-07T10:31:15+00:00

यदि चोर होंगे तो चोरी की प्रवृत्ति हमें पुनः चोरी करने की प्रेरणा देगी आदि।

शंका १ – अधिकांश लोगों का विचार है कि हम कर्म करने में स्वतन्त्र नहीं हैं। हम तो अपने प्रारब्ध-पूर्व जन्म के कर्मों से बन्धे हुए हैं। पूर्व जन्म के कर्म का अभ्यास हमें वैसे ही कर्म करने की प्रेरणा देता है जैसे हम कर्म करते आ रहे हैं। यदि चोर [...]

यदि चोर होंगे तो चोरी की प्रवृत्ति हमें पुनः चोरी करने की प्रेरणा देगी आदि।2023-09-07T11:54:13+00:00

अब

अब आशा है कि इतना पढ़ने अथवा सुनने के पश्चात साईट के आरम्भ में कही गई लोगों में प्रचलित अवधारणाओं का बौद्धिक उत्तर प्राप्त हो गया होगा। फिर भी उनके उत्तर संक्षेप से नीचे दिए जा रहे है- अवधारणा- सभी धर्म एक समान हैं। उत्तर- धर्म अनेक नहीं एक ही [...]

अब2023-03-10T10:54:35+00:00
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