ब्रह्मयज्ञः
ओ३म अथ ब्रह्मयज्ञः यह पुस्तक नित्यकर्म विधि का है। इसमें पन्न्चमहायज्ञ का विधान है, जिनके ये नाम हैं कि-ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, भूतयज्ञ और नृयज्ञ। उनके मन्त्र, मन्त्रों के अर्थ और जो-जो करने का विधान लिखा है, सो-सो यथावत् करना चाहिए। एकान्त देश में आत्मा, मन और शरीर को [...]