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ब्रह्मयज्ञः

  ओ३म अथ ब्रह्मयज्ञः यह पुस्तक नित्यकर्म विधि का है। इसमें पन्न्चमहायज्ञ का विधान है, जिनके ये नाम हैं कि-ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, पितृयज्ञ, भूतयज्ञ और नृयज्ञ। उनके मन्त्र, मन्त्रों के अर्थ और जो-जो करने का विधान लिखा है, सो-सो यथावत् करना चाहिए। एकान्त देश में आत्मा, मन और शरीर को [...]

ब्रह्मयज्ञः2024-06-12T10:12:43+00:00

वास्तव में कर्मकाण्ड के मायने क्या होते हैं?

वास्तव में कर्मकाण्ड के मायने क्या होते हैं? भारतीय लोग कर्मकाण्ड शब्द से बहुत परिचित हैं। अभी, धार्मिक क्रियाओं को निश्चित रीति से करने को ही कर्मकाण्ड कहा जाता है। परन्तु, ऐसा नहीं है। आइए, इसके वास्तविक अर्थ को समझते हैं - किसी भी काम को करने की [...]

वास्तव में कर्मकाण्ड के मायने क्या होते हैं?2024-04-20T10:24:33+00:00

ईश्वर सृष्टि का शासक कैसे है?

ईश्वर सृष्टि का शासक कैसे है? मानव समाज में शासक, राजा, न्यायाधीश आदि चुने जाते हैं। लेकिन, ईश्वर के विषय में ऐसा नहीं है। ईश्वर अपने कार्यों के कारण, अपने गुणों के कारण व अपने सामर्थ्य के कारण सृष्टि का एकमात्र शासक है। यह ठीक वैसे ही है, [...]

ईश्वर सृष्टि का शासक कैसे है?2024-04-20T10:29:19+00:00

प्रार्थना के मायने

प्रार्थना के मायने -'प्रार्थना' हमारे जीवन में महत्त्वपूर्णभूमिका निभाती है। समाज में, इसके बारे में बहुत सी गलत धारणाएं घर कर गई हुई हैं। इसलिए, यह अति-आवश्यक हो जाता है कि इसके सही प्रारूप को प्रकाशित किया जाए। इसके सही प्रारूप को समझने के लिए कृपया निम्नलिखित बातों [...]

प्रार्थना के मायने2023-10-12T15:10:37+00:00

क्या योनियों की संख्या 84 लाख है?

   शंका ६:–   क्या योनियों की संख्या 84 लाख है? समाधान– इसका कोई शास्त्रीय प्रमाण तो मेरी जानकारी में नहीं है। मैंने सब शास्त्र नहीं पढ़े। कहीं शास्त्रों में लिखा हो भी सकता है। परम्परा से तो यही सुनते आ रहे हैं। लेकिन पक्का नहीं कह सकते है कि-84 लाख [...]

क्या योनियों की संख्या 84 लाख है?2023-10-05T15:39:13+00:00

जीवात्मा भविष्य में जो विचार करेंगें, उसका ज्ञान ईश्वर को पहले से हो सकता है या नहीं?

   शंका ५:– जीवात्मा भविष्य में जो विचार करेंगें, उसका ज्ञान ईश्वर को पहले से हो सकता है या नहीं? समाधान– यह तो ईश्वर को पता है कि चुपचाप खाली तो कोई जीवात्मा बैठता नहीं, भविष्य में वह कुछ तो विचार करेगा। किस-किस तरह के विचार जीवात्मा कर सकते हैं, [...]

जीवात्मा भविष्य में जो विचार करेंगें, उसका ज्ञान ईश्वर को पहले से हो सकता है या नहीं?2023-10-05T15:37:07+00:00

जिस प्रकार कई वस्तुएं सड़ने पर मादकता स्वयं आ जाती है वैसे ही

शंका ४ – यह क्यों ना माना जाए कि जिस प्रकार कई वस्तुएं सड़ने पर मादकता स्वयं आ जाती है वैसे ही पांच तत्वों के मिलने पर चेतनता स्वयं पैदा हो जाएगी? उत्तर-ऐसा मानना ठीक नहीं, क्योंकि मदिराजनक प्रत्येक द्रव्य में मादकता पायी जाती है इसलिए उन द्रव्यों के [...]

जिस प्रकार कई वस्तुएं सड़ने पर मादकता स्वयं आ जाती है वैसे ही2023-10-05T15:34:11+00:00

आर्यसमाजी न किसी देवी-देवता की पूजा करते हैं

शंका ३ :- आर्यसमाजी न किसी देवी-देवता की पूजा करते हैं, न सत्यनारायण की कथा करते हैं। भला जो पूजा न करता हो, वह आस्तिक कैसा? भला हवन कर लेना, यज्ञ कर लेना क्या कोई देव पूजा हुई? समाधानः–  इसको समझने के लिए पहले जन सामान्य की दृष्टि से पूजा किसे कहते [...]

आर्यसमाजी न किसी देवी-देवता की पूजा करते हैं2023-10-05T15:21:06+00:00

यज्ञ में चम्मच को अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका से पकड़ने का विधान क्यों किया है?

शंका २:- यज्ञ में चम्मच को अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका से पकड़ने का विधान क्यों किया है? समाधानः–यहाँ पर सामान्य रूप से यह भाव लिया जा सकता है कि ‘मध्यमा अंगुली’ संसार में मध्यम मार्ग से अर्थात् त्याग-भोग, श्रेय-प्रेय, ज्ञान-कर्म के समन्वित मार्ग से चलने की प्रेरक हो सकती है। [...]

यज्ञ में चम्मच को अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका से पकड़ने का विधान क्यों किया है?2023-10-05T15:24:52+00:00

परमात्मा जिसे चाहेगा, उसे अपना स्वरूप प्रकट करेगा

शंका १:–  कठोपनिषद (२//२२) का वचन है- नायमात्मा–से–तनूं स्वाम्।   यह आत्मा न प्रवचन से, न मेधा बुद्धि से, न सत्संग से प्राप्त करने योग्य हैं, जिसको यह आत्मा (परमात्मा) स्वयं स्वीकार करता है, उसी को यह प्राप्त होता है, उसी को यह अपना स्वरूप प्रकट करता हैं।  यहाँ [...]

परमात्मा जिसे चाहेगा, उसे अपना स्वरूप प्रकट करेगा2023-10-05T15:30:42+00:00
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