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‘पंडित’ और ‘ब्राह्मण’ में क्या भेद है?

सामान्यता पंडित' और 'ब्राह्मण' शब्दों को पर्यायवाची माना जाता है, परन्तु इनमें भेद होता है। हर 'ब्राह्मण' तो 'पंडित' होता है, परन्तु, हर 'पंडित' 'ब्राह्मण' नहीं होता। 'पंडित' वह व्यक्ति होता है, जो तीक्ष्ण बुद्धि वाला, किसी विद्या का जानकार और धार्मिक होता है, परन्तु किसी व्यक्ति को 'ब्राह्मण' तभी [...]

‘पंडित’ और ‘ब्राह्मण’ में क्या भेद है?2023-03-05T15:44:37+00:00

हवन के मंत्र व उनके अर्थ

हवन के मंत्र व उनके अर्थ देव-यज्ञ के आरम्भ में आठ ईश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासना के मंत्रों को पढ़ने का विधान है। इन मंत्रों के अर्थ नीचे दिए हैं। ईश्वरस्तुतिप्रार्थनोपासना के मंत्रों के अर्थ (यहाँ शीर्षक में स्तुति, प्रार्थना और उपासना का क्रम व्याकरण की दृष्टि से है- स्तुति शब्द में दो [...]

हवन के मंत्र व उनके अर्थ2024-10-26T02:28:56+00:00

संध्या के मंत्र व उनके अर्थ

संध्या के मंत्र व उनके अर्थ सन्ध्या, हवन और अन्य अवसरों पर बोले जाने वाले मंत्रों का साधारणतया भावार्थ विचारना पर्याप्त माना जाता है, परन्तु मंत्रों के भिन्न भिन्न पदों के अर्थों को बार-बार विचारने अथवा स्मरण करने से एक तो उस कर्म के प्रति, जिनमें उन मंत्रों का [...]

संध्या के मंत्र व उनके अर्थ2024-10-08T02:32:02+00:00

संध्या के मंत्र व उनके अर्थ

संध्या के मंत्र व उनके अर्थ शिखा-बन्धन का मंत्र ओ३म भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात ।। अर्थ -हे सर्वरक्षक परमेश्वर! आप प्राणों के प्राण, अर्थात सबको जीवन देने वाले, सब दुखों से छुड़ानेवाले, स्वयं सुखस्वरूप और अपने उपासकों को सुखों की प्राप्ति कराने वाले हैं। [...]

संध्या के मंत्र व उनके अर्थ2023-01-25T11:49:35+00:00

सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने की विधा

पुस्तक- सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने की विधा मूलतः यह पुस्तक हिन्दी अर्थात आर्य-भाषा में लिखी गई है। इसकी अंग्रेजी translation 'Light of Truth'  के नाम से उपलब्ध है। क्योंकि, हमें इस तरह के साहित्य को पढ़ने की आदत नहीं होती, इसलिए, इस पुस्तक को पढ़ने की एक खास विधा [...]

सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने की विधा2023-02-12T14:42:10+00:00

कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिकों के ईश्वर सम्बन्धित उद्धरण

कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिकों के ईश्वर सम्बन्धित उद्धरण आजकल, पाश्चात्य भौतिक प्रधान देशों का अनुसरण करते हुए हमारे देश के शिक्षित वर्ग व बुद्धिजीवियों की ऐसी मानसिकता बन गई है कि ईश्वर नाम की कोई वस्तु वास्तव में है ही नहीं, यह मात्र कल्पना है और वे मानने लगे हैं कि [...]

कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिकों के ईश्वर सम्बन्धित उद्धरण2023-01-22T11:36:44+00:00

कुछ पाश्चात्य विचारकों के वेद सम्बन्धित उद्धरण

कुछ पाश्चात्य विचारकों के वेद सम्बन्धित उद्धरण लॉर्ड मोर्ले घोषणा करते हैं- 'वेदों में जो पाया जाता है, वह और कहीं नहीं है।' वेदों को सच्चा विज्ञान मानते हुए अमेरिकन लेडी व्हीलर विलोक्स लिखती हैं- 'हम सभी ने भारत के प्राचीन धर्म के बारे में सुना और पढ़ा है। यह [...]

कुछ पाश्चात्य विचारकों के वेद सम्बन्धित उद्धरण2023-01-22T11:33:08+00:00

श्रेष्ठ-समाज के निर्माण के आधारभूत सिद्धान्त

श्रेष्ठ-समाज के निर्माण के आधारभूत सिद्धान्त (आर्य समाज के नियम) आर्य समाज नामक संस्था पर कुछ कहने से पहले, नीचे कुछ विचारकों के उद्धरण दिए जा रहे हैं-  'आर्य समाज तो भूमि के गुरुत्व आकर्षण के समान है, जो है तो अदृश्य और अगोचर, परन्तु सब गतियों में ओत-प्रोत [...]

श्रेष्ठ-समाज के निर्माण के आधारभूत सिद्धान्त2023-11-30T08:10:50+00:00

आज की व्यवस्थाएं और वैदिक व्यवस्थाएं

आज की व्यवस्थाएं और वैदिक व्यवस्थाएं- एक तुलनात्मक अध्ययन आज की व्यवस्थाएं -आज शिक्षा न्याय, भेषज (medicine) आदि से संबद्ध कोई भी व्यवस्था हमारी अपनी संस्कृति के अनुरूप नहीं है, बल्कि, ये सभी व्यवस्थाएं अंग्रेजी तंत्र की देन हैं। अब प्रश्न उठता है कि यदि, ये व्यवस्थाएं अंग्रेजी तंत्र [...]

आज की व्यवस्थाएं और वैदिक व्यवस्थाएं2023-02-12T15:00:50+00:00

पुनर्जन्म मानने का वैज्ञानिक आधार क्या है?

हम क्यों माने कि पुनर्जन्म होता है अर्थात पुनर्जन्म मानने का वैज्ञानिक आधार क्या है? इस बात को जनाने के लिए हम दो पक्ष बना लेते हैं- एक पक्ष, जो मानता है कि पुनर्जन्म होता है, दूसरे पक्ष से तीन प्रश्न करेगा। अपने उत्तरों से ही दूसरे पक्ष को मानना [...]

पुनर्जन्म मानने का वैज्ञानिक आधार क्या है?2023-01-20T14:31:26+00:00
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