आर्ष ग्रन्थ किन्हें कहते हैं व वे कौन-कौन से हैं?

 

ऋषिकृत ग्रन्थों को आर्ष ग्रन्थ कहा जाता है। जैसे व्याकरण, निरुक्त, दर्शन-शास्त्र, ब्राह्मण ग्रन्थ, उपनिषद आदि। महर्षि दयानन्द जी के शब्दों में, ऋषियों द्वारा लिखे ग्रन्थों का पढ़ना ऐसा ही है, जैसे एक गोता लगाना और बहुमूल्य रत्नों को पाना और इसके विपरीत, अनार्ष ग्रन्थों को पढ़ना ऐसा ही है, जैसे पहाड़ खोदना और चुहिया को पाना। आर्ष ग्रन्थों की पहचान यह है कि उनमें ऋषियों, वेद व ईश्वर की निन्दा कदापि नहीं होती। यदि, किसी विषय पर ऋषियों का लिखा हुआ न मिले तो, उस विषय पर, अन्य विद्वानों द्वारा  लिखे ग्रंथ, जो वेद व ऋषियों के विचारों को ही प्रकाशित करने वाले हों, भी समान आदर के पात्र हैं।   

<< पिछला | अगला >>