रचना के लिए कौन-कौन सी वस्तुएं आवश्यक होती हैं?
रचना के लिए आवश्यक वस्तुएं
एक वैज्ञानिक सिद्धान्त है कि तीन वस्तुओं, जिन्हें कारण कहा जा सकता है, के बगैर, किसी भी वस्तु की रचना नहीं हो सकती। एक तो, किसी भी वस्तु को बनाने के लिए बनाने वाला चाहिए, दूसरे, वह चीज़, जिससे उसको बनाना है और तीसरे बनाने में उपयुक्त होने वाले साधन, जैसे कि हाथ, पैर, यन्त्र आदि होने आवश्यक हैं। एक और वस्तु जो किसी पदार्थ की रचना के लिए आवश्यक होती है, वह है, वह वस्तु जिसके लिए उस पदार्थ की रचना की जाती है। इसे तीसरे कारण में गिना जा सकता है। कई बार वस्तु को बनाने वाला व जिसके लिए उस वस्तु का निर्माण होता है, वे एक ही होते हैं। इस सिद्धान्त को समझने के लिए, हम एक सांसारिक पदार्थ की रचना का उदाहरण लेते हैं। कपड़ा बनाने के लिए पहली चीज़ जो चाहिए, वह है, ‘कपड़ा बनाने वाला’, दूसरी आवश्यक वस्तु है, सूत आदि वह पदार्थ, जिससे कपड़ा बनाया जाना है। तीसरी आवश्यक वस्तु है, कला-कौशल अर्थात् ज्ञान, खड़डी आदि यन्त्र, दिशा, काल, हाथ आदि व ग्राहक। ग्राहक खुद बनाने वाला भी हो सकता है। जैसे, सांसारिक पदार्थों की रचना इन तीन कारणों के बगैर नहीं हो सकती, उसी तरह, सृष्टि की रचना के लिए भी, ये तीन कारण होने आवश्यक हैं। सृष्टि की रचना का पहला कारण है, ईश्वर। दूसरा कारण है, प्रकृति अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश-पांच तत्व जिनके भिन्न-भिन्न संयोगों से इस सृष्टि की प्रत्येक वस्तु बनी हुई है। ईश्वर द्वारा बनाए पदार्थों का जीव द्वारा आवश्यकता के अनुसार, भिन्न-भिन्न अनुपातों में मिश्रण करना और भिन्न-भिन्न आकार प्रदान करना ही जैविक रचना है। जैविक रचना में जीव ईश्वर द्वारा बनाए पंच महाभूतों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के माध्यम से ही अपनी आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न वस्तुएं बनाता है। जैसे कि बस, ट्रेन, घर आदि। तीसरा कारण है, ईश्वर के ज्ञान आदि स्वाभाविक गुण, काल और आकाश। दिशा का मूलभाव, आकाश पर आश्रित है और काल नामक सत्ता का अस्तित्व हमारे व्यवहार के लिए ही है। इसलिए, यहां आकाश से दिशा का अर्थ लिया जा सकता है।