सत्य भाषण क्या है?

 

आम तौर पर, अपनी वाणी से ठीक वैसी ही बात कहना, जैसी कि हमारी आत्मा में किसी घटना अथवा वस्तु के बारे में जानकारी हो, सत्य भाषण कह दिया जाता है। परन्तु, यह आवश्यक नहीं कि जो ज्ञान हमारी आत्मा में हो, वह सत्य ही हो। इसलिए आत्मा द्वारा इन्द्रियों के माध्यम से ग्रहित ज्ञान को प्रमाणों की कसौटी पर कसने के पश्चात, वैसा ही कहना सत्य भाषण है। महर्षि वेद व्यास जी द्वारा निर्धारित की गई कसौटियों के अनुसार, किसी व्यक्ति का कहा हुआ सत्य तभी कहलाएगा, जब वह बात दूसरे को धोखा देने के लिए न कही गई हो, वह बात तथ्यात्मक होते हुए भी दूसरे को भ्रान्ति में डालने वाली न हो, वह बात अभिप्राय को स्पष्ट रुप से व्यक्त न करती हो और वह बात प्राणी मात्र का उपकार करने वाली हो। 

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