सनातन धर्म और आर्य समाज

आज हमारी संस्कृति विनाश के कगार पर है। सीमाओं की रक्षा के लिए तो हमारे सैनिक तैनात हैं, परन्तु हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए दयानन्द के शिष्य आवश्यक हैं। केवल दयानन्द के शिष्य ही हमारी विशिष्ट संस्कृति पर उठाए जाने वाले प्रश्नों का सही उत्तर देकर उनके मुँह बन्द कर सकते हैं। आर्य समाज रूपी संस्था सनातन धर्म के वास्तविक स्वरूप को जानने के लिए हमें दयानन्द की दृष्टि प्रदान करती है।