यहाँ, संस्कृत भाषा को सिखाने के लिए कुछ साईट्स सुझाई जा रही हैं। परन्तु, संस्कृत भाषा को सीखने का उद्देश्य हमारे मन में साफ होना चाहिए। संस्कृत भाषा को सीखने का अन्तिम उद्देश्य तो वेद, जो कि वैदिक संस्कृत में हैं, को समझना ही होना चाहिए। सारे का सारा वैदिक वाङ्गमय संस्कृत भाषा में ही है और वैदिक वाङ्गमय को समझने के लिए हमें अपनी निर्भरता विद्वानों के भाष्यों पर कम करने के लिए हमारा संस्कृत भाषा को स्वयं जानना अति आवश्यक है। वेद और वैदिक वाङ्गमय में प्रयुक्त संस्कृत शब्दों के अर्थ यौगिक है, जबकि आज की प्रचलित संस्कृत भाषा के अर्थ बहुत संकुचित हो चुके हैं। वैदिक संस्कृत और आज प्रचलित संस्कृत भाषा में उतना ही अंतर है, जितना हिंदी और संस्कृत में। वैदिक संस्कृत और आज प्रचलित संस्कृत भाषा में अंतर होने के बावजूद हमें संस्कृत भाषा के नियमों को तो जानना ही होगा। संस्कृत भाषा के नियमों को जानकर हम वेद को समझने रुपी भवन का निर्माण कार्य आरम्भ करते हैं, ताकि हम अपने अगले जन्मों में वेद का तात्पर्य बिना किसी के भाष्य की सहायता के खुद समझ पाएँ। संस्कृत भाषा को सीखने का अन्य कोई भी उद्देश्य निरर्थक है।

संस्कृतम

(इस साईट में दिखाए गए बहुत से वाक्य अवैदिक अर्थात पौराणिक मान्यताओं के वाचक हैं, परन्तु पौराणिक भाइयों द्वारा निर्मित यह साइट संस्कृत भाषा को बहुत सरल तरीके से सिखाती है।)

संस्कृत भाषा में विसर्ग का उच्चारण