प्रश्न पूछने की आदत

 

‘ईश्वर के अस्तित्व पर भी सवाल उठाएं। क्योंकि, यदि, ईश्वर का अस्तित्व है, तो उसे डर की तुलना में श्रद्धापूर्ण तर्क का अधिक अनुमोदन करना चाहिए।’- थॉमस जेफरसन का एक उद्धरण

– आप जो कुछ भी देखते हैं, सुनते हैं या करते हैं उस पर सवाल उठाने की आदत बनाएं। उत्तर तभी प्राप्त किया जा सकता, जब प्रश्न उपस्थित हो। प्रत्येक संप्रदाय में प्रश्न पूछने को हतोत्साहित किया जाता है। एक मायने में हम तभी जीवित कहला सकते हैं, जब हम अपने विश्वासों पर सवाल उठाते हैं। हर संप्रदाय में हमें बिना कोई सवाल उठाए उनके कहे पर विश्वास करने को कहा जाता है। लेकिन, प्रश्न न पूछने के इस रास्ते पर कभी न चलें।

-प्रश्न पूछने का उद्देश्य कभी भी दूसरों को नीचा दिखाना या अपने व्यक्तिगत विचारों की महानता दिखाना नहीं होना चाहिए। प्रश्न पूछने का एकमात्र उद्देश्य बुद्धि की भूख मिटाने के लिए कुछ नया ग्रहण करना ही होना चाहिए। निःसंदेह, प्रश्न दूसरों के ज्ञान के परीक्षण के उद्देश्य से भी पूछे जा सकते हैं, लेकिन इस तरह के परीक्षण का वास्तविक उद्देश्य किसी विशेष ज्ञान को प्राप्त करने के लिए दूसरे व्यक्ति के ज्ञान के स्तर को जाँचना ही होना चाहिए।

-हे मनुष्य! तुम संसार में किस कारण से आए हो? क्या आप अपनी मर्जी से आए हैं या किसी और ने आपको भेजा है? यदि आप अपनी मर्जी से आए हैं, तो आपके आने का क्या उद्देश्य है, क्योंकि अतीत में आप अनगिनत बार इस दुनिया में आए हैं? क्या पिछले जन्मों में कुछ करना शेष रह गया था? क्या आप इस जन्म में उस चीज़ को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हैं? इन प्रश्नों के उत्तर पाने की कोशिश करें।