एकता

 

– हमारे विचारों और कर्मों में तब तक एकता नहीं हो सकती, जब तक कि हम सभी का पूज्य देव एक न हो। हम, हिंदू सैकड़ों देवताओं की पूजा करते हैं और फिर भी मानते हैं कि ईश्वर एक है और ये सभी सैकड़ों देवता उसी एक ईश्वर की अभिव्यक्ति हैं।

सच्चाई जानने का एक आसान सा तरीका है। वह तरीका है कि हम जो कुछ भी मानते हैं या करते हैं उसमें तर्क का पूर्ण प्रयोग करें। इसके अतिरिक्त, हमें उस ईश्वर की पूजा करनी चाहिए, जिसने हमें बनाया, न कि उन देवताओं की, जिन्हें हमने बनाया है।

-यदि हम एक होना चाहते हैं, तो यह आवश्यक है कि हम सभी एक ही ईश्वर नामी सत्ता पर निर्भर हों। परन्तु, यह कैसे संभव है, जब हम अलग-अलग व्यक्तियों को ईश्वर मानते हैं? ऐसा ईश्वर के सच्चे ‘स्वरूप’ को जानने से ही संभव हो सकता है। ईश्वर के सच्चे ‘स्वरूप’ का ज्ञान हमें अपने प्रिय व्यक्तित्वों का आदर करने से नहीं रोकता। हम एक ही समय में ईश्वर की पूजा भी कर सकते हैं और अपने प्रिय व्यक्तित्वों का सम्मान भी कर सकते हैं।