बुद्धि का क्या महत्त्व है?  

 

 अगर बुद्धि व ज्ञान को हमारे जीवन का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण अंग माना जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। बिना बुद्धि के जब संसार के छोटे–छोटे काम, जैसे सब्जी आदि खरीदना, अपने गन्तव्य स्थान पर उचित समय पर पहुंचना, नल आदि की मरम्मत करना आदि ही नहीं किए जा सकते, तो यह कल्पना करना भी व्यर्थ है कि बुद्धि व ज्ञान के बिना हम अपने जीवन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। अब अगर हम बुद्धि जैसे सबसे महत्त्वपूर्ण यंत्र का उपयोग अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में न करें, तो हम से बड़ा मूर्ख कोई न होगा। बुद्धि को हम विवेक अथवा तर्क शक्ति भी कह सकते हैं।

बुद्धि की कार्य शैली है- निर्धारित माप दण्डों द्वारा संग्रहित जानकारियों का विश्लेषण कर उस विषय की सत्यता व असत्यता का निर्णय करना। बुद्धि द्वारा किए गए निर्णय पर विश्वास करना ही श्रद्धा है। तर्क के बिना उपजी श्रद्धा अन्धविश्वास को जन्म देती है और बिना श्रद्धा को अपनी मंजिल माने किया जाने वाला तर्क नास्तिकता को जन्म देता है।

मनुष्यों से निम्न योनियों में बुद्धि की मात्रा बहुत सीमित होती है। इतनी विकसित बुद्धि का स्वामी होने के कारण ही मनुष्य को अन्य प्राणियों से बेहतर कहा जाता है। बुद्धि की वास्तविक महत्ता इस बात में है कि वह हमें बताए कि हमें कौन सा काम करना चाहिए और कौन सा काम नहीं करना चाहिए। इस काम को करने के लिए बुद्धि का पवित्र होना बहुत आवश्यक है।

सही बुद्धि पाने के लिए हमें ज्ञान-मार्ग वा कर्म–मार्ग से ईश्वर को प्राप्त करना आवश्यक है। जैसे–जैसे हम ईश्वर को प्राप्त करने के पथ पर अग्रसर होते जाते हैं वैसे–वैसे हमारी बुद्धि सही होती जाती है। बुद्धि का कार्य क्षेत्र किसी विषय को जनाने तक ही सीमित है।

<< पिछला | अगला >>