शंका २:- यज्ञ में चम्मच को अंगूठा, मध्यमा एवं अनामिका से पकड़ने का विधान क्यों किया है?
समाधानः–यहाँ पर सामान्य रूप से यह भाव लिया जा सकता है कि ‘मध्यमा अंगुली’ संसार में मध्यम मार्ग से अर्थात् त्याग-भोग, श्रेय-प्रेय, ज्ञान-कर्म के समन्वित मार्ग से चलने की प्रेरक हो सकती है। ‘अनामिका’ नाम, यश, कीर्ति, गौरव या अभिमान की भावना न रखने की प्रेरक है। रहा अंगुष्ठ तो बिना अंगुष्ठ के शेष अंगुलियाँ कार्य को सरलता से सम्पन्न नहीं कर पाती हैं, इसी प्रकार ईश की कृपा के बिना कोई भी कर्म पूर्णता को प्राप्त नहीं होता है।
-अर्जुन देव स्नातक
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