सामान्यता पंडित’ और ‘ब्राह्मण’ शब्दों को पर्यायवाची माना जाता है, परन्तु इनमें भेद होता है। हर ‘ब्राह्मण’ तो ‘पंडित’ होता है, परन्तु, हर ‘पंडित’ ‘ब्राह्मण’ नहीं होता। ‘पंडित’ वह व्यक्ति होता है, जो तीक्ष्ण बुद्धि वाला, किसी विद्या का जानकार और धार्मिक होता है, परन्तु किसी व्यक्ति को ‘ब्राह्मण’ तभी कहना चाहिए, यदि वह तीक्ष्ण बुद्धि वाला, अध्यात्म विद्या का जानकार व धार्मिक होने के साथ-साथ विद्वान् भी हो। वैसे तो ‘विद्वान्’ का अर्थ वेद-ज्ञान को जानने वाला होता है, परन्तु, स्तरों में बहुत अधिक गिरावट होने के कारण विद्वान उसी व्यक्ति को मानना चाहिए, जो कम से कम सनातन सिद्धांतों की निम्नस्तरीय जानकारी तो अवश्य रखता हो।