धार्मिकता फलीभूत कब नहीं होती?
आज हमारे देश में तथाकथित धार्मिकों की संख्या बहुत अधिक होने के बावजूद हम अन्धकार में पड़े हैं। इन तथाकथित धार्मिकों में से बहुत कम वास्तविक धर्म को समझते हैं और वे भी अन्धकार में पड़े हैं अर्थात उनकी भी धार्मिकता फलीभूत नहीं हो पा रही। धर्म का फल तभी मिलता है, जब उसे आचरण में लाया जाए। केवल मात्र सही ज्ञान होने से अर्थात वेदों को पढ़ लेने मात्र से धर्म का फल नहीं मिलता। हमारे ऋषियों का मंतव्य है कि वेदों के सही ज्ञान को आचरण में वही व्यक्ति ला सकता है, जो जितेन्द्रिय हो अर्थात जितेन्द्रिय होने पर ही धार्मिकता फलीभूत होती है।
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