शंका ३ – क्या कोई हमारा भविष्यफल बता सकता है?

समाधान

गणित में नियम हैः- संभावना का नियम अर्थात् लॅा आफ प्राबेबिलिटि- ये ज्योतिषी जितनी भी भविष्यवाणियाँ करते हैं, वे सभी लॅा आफ प्राबेबिलिट पर आधारित हैं। लॅा आफ प्राबेबिलिटि आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं, फिर उसने (ज्योतिषी ने) नया क्या बता दिया?

एक विद्यार्थी परीक्षा में बैठा है। वह या तो पास होगा या फेल होगा। सौ विद्यार्थी परीक्षा में बैठे हैं। क्या परीक्षा में बैठे सारे के सारे विद्यार्थी फेल हो जाएंगे? कुछ तो पास होंगे, कुछ की तो पास होने की संभावना है। यह है संभावना का नियम। वहाँ संभावना का नियम काम करता है। यदि कोई व्यक्ति बीस संभावनाएँ व्यक्त करता है तो कोई तो सच निकलेगी। वहाँ यह नियम लागू होता है, न कि भविष्यवाणी।

इस संभावना के नियम पर ये ज्योतिषी भविष्यफल बताते हैं। कथित वचनों में कुछ तो ठीक (सच) सिद्ध होना ही है। आजकल टी.वी. चैनलों पर, अखबारों आदि में जो भी भविष्यफल बताया जाता है, उसके पीछे भी यही संभावना का नियम ही काम करता है।

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गणित वाला ज्योतिष ठीक है, पर भविष्यफल अर्थात् प्रिडिक्शन गलत है। 

व्यक्ति कर्म करने में स्वतंत्र है। स्वतंत्र किसको कहते है, जो अपनी इच्छा से काम करे या दूसरों के दबाव से काम करे? जो अपनी इच्छा से काम करे, वह स्वतंत्र है। तो आपका भविष्य पहले से कोई कैसे लिख देगा, अगर पहले से लिखा है, और वही होना है, तो आप परतंत्र हो गए।

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जब तक हम स्वतंत्र हैं, वह ज्योतिषी हमारा भविष्य कैसे जान लेगा? हमने कोई काम अब तक सोचा ही नहीं, योजना ही नहीं बनाई कोई निर्णय ही नहीं किया कि दो महीने बाद क्या करूँगा। जब मैंने ही नहीं सोचा, तो ज्योतिषी उसको कैसे जान लेगा? फिर वह बताता है, तो इसका अर्थ है कि वह तुक्का मारता है। उसकी जितनी बातें ठीक होती है, लॅा आफ प्राबेबिलिटि से ठीक होती है।

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-विवेकानन्द परिव्राजक