प्रश्न – क्या कोई ऐसा भी कर्म हो सकता है, जिसके पीछे मनुष्य की कोई भी कामना (सांसारिक या मोक्ष की) न हो?

उत्तर- एक क्षण के लिए भी मनुष्य कर्म से रहित नहीं होता। मानसिक, वाचनिक या शारीरिक कोई न कोई कर्म सर्वदा करता ही रहता है। मनुष्य के उन सभी कर्मों के पीछे उसकी प्रबल इच्छा व प्रयत्न कारण बनते हैं। उसकी इच्छा मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। दुख व दुख के कारणों से छुटकारा और सुख व सुख के साधनों की प्राप्ति। मनुष्य का प्रत्येक कर्म इन दो उद्देश्यों से युक्त रहता है। हम यह कह सकते हैं कि कोई भी कर्म नहीं हो सकता, जिसके पीछे लौकिक या मोक्ष कोई भी कामना न हो।

जो-जो हस्त, पाद, नेत्र, मन आदि चलाये जाते हैं, वे सब कामना ही से चलते हैं, जो इच्छा न हो, तो आँख का मीचना भी नहीं हो सकता।

                                                                                -मनु-स्मृति १//६१

निस्संदेह, कोई भी मानव किसी भी अवस्था में क्षण मात्र भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता, क्योंकि प्रकृति जनित गुणों के पराधीन होकर प्राणी मात्र को कर्म करने ही पड़ते हैं।

-गीता ३//५