संस्कृत सीखने के लिए
संस्कृतम (इस साईट में दिखाए गए बहुत से वाक्य अवैदिक अर्थात पौराणिक मान्यताओं के वाचक हैं, परन्तु पौराणिक भाइयों द्वारा निर्मित यह साइट संस्कृत भाषा को बहुत सरल तरीके से सिखाती है।) संस्कृत भाषा में विसर्ग का उच्चारण
संस्कृतम (इस साईट में दिखाए गए बहुत से वाक्य अवैदिक अर्थात पौराणिक मान्यताओं के वाचक हैं, परन्तु पौराणिक भाइयों द्वारा निर्मित यह साइट संस्कृत भाषा को बहुत सरल तरीके से सिखाती है।) संस्कृत भाषा में विसर्ग का उच्चारण
बुद्धि और तर्क ठीक जैसे आंख, कानादि ईश्वर ने हमें देखने, सुनने के लिए दिए हैं, वैसे ही संसार की भिन्न-भिन्न वस्तुओं का निश्चयात्मक ज्ञान कराने के लिए ईश्वर ने हमें बुद्धि नामक यंत्र प्रदान किया है। जैसे आँख होते हुए भी, आँख का प्रयोग देखने के लिए [...]
ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को जानने के लाभ हमारा शरीर, बुद्धि, इन्द्रियाँ, नदियाँ, पहाड़, सूर्य, अन्न, वनस्पतियां आदि, जिनसे हम सब तरह के सुख उठाते हैं और भिन्न भिन्न वैज्ञानिक खोजें आदि करते हैं, ईश्वर की ही देन हैं। ईश्वर के इस योगदान को स्वीकार करना ईश्वर नाम की सत्ता [...]
कारण-कार्य सिद्धान्त विज्ञान का मौलिक आधारभूत सिद्धान्त है कि कोई भी कार्य कारण के बगैर नहीं होता अर्थात यदि, कोई कार्य हुआ है, तो उसके पीछे उसका कोई कारण भी अवश्य होगा व यदि कोई कारण विद्यमान है, तो उसका कार्य भी अवश्य होगा। आज के विज्ञान ने [...]
क्लेशों का होना कोई पाप नहीं है। इस बात को समझने से पहले यह सत्य हमारे अंदर घर कर जाना चाहिए कि ईश्वर का सभी तरह का निर्माण हम आत्माओं के लाभ के लिए ही होता है। ईश्वर मनुष्य से इतर योनियों के शरीर मुख्यतः बुरे कर्मों को [...]
सत्व, रजस और तमस का प्रभाव हमारे स्थूल शरीर, मन आदि प्राकृतिक तत्वों- सत्व, रजस और तमस से बने हैं। इन तत्वों के स्वभाव का पता होने पर हम अच्छी तरह से अपने व दूसरों के बारे में जान सकते हैं। प्रत्येक सांसारिक वस्तु में प्रकृति के तीनों [...]
वेद में धर्म का स्वरूप मन्त्र ओम् सं गच्छध्वं -से- उपासते। -ऋग्वेद 10//191//2 अर्थ- हे मनुष्य लोगो! जो पक्षपातरहित न्याय सत्याचरण से युक्त धर्म है, तुम लोग उसी को ग्रहण करो, उससे विपरीत कभी मत चलो, किन्तु उसी की प्राप्ति के लिए विरोध को छोड़ [...]
ईश्वर को प्राप्त करने के मायने क्या होते हैं? -आचार्य अंकित प्रभाकर इसी संदर्भ में एक और शब्द बहुत प्रयोग किया जाता है, वह है- ईश्वर-साक्षात्कार। किसी वस्तु को प्राप्त करने के अर्थ होता है, उस वस्तु से जितना लाभ लिया जाना सम्भव हो, उतना ले लेना। उदाहरणार्थ- [...]
दर्शनों को पढ़ने का क्रम वेदों के उपांग कहे जाने वाले छः दर्शन वास्तव में एक ही वैदिक-दर्शन के विभिन्न भाग हैं, अर्थात ये छः दर्शन भारतीय दर्शन के विभिन्न भागों को विस्तार से समझाने वाले छः विभिन्न शास्त्र हैं। इनको एक ही दर्शन के अवयव मानने से [...]
हमें दर्शन क्यों पढ़ने चाहिएं? दर्शनों को पढ़ने का क्रम वेदों के उपांग कहे जाने वाले छः दर्शन वास्तव एक ही वैदिक-दर्शन के विभिन्न भाग हैं, अर्थात ये छः दर्शन भारतीय दर्शन के विभिन्न भागों को विस्तार से समझाने वाले छः विभिन्न शास्त्र हैं। इनको एक ही दर्शन [...]