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अकर्मण्यता, प्रमाद और आलस्य में अन्तर

अकर्मण्यता, प्रमाद और आलस्य में अन्तर अकर्मण्यता- अकर्मण्यता का अर्थ है, काम करना ही नहीं, जिसे कामचोरी कहते हैं। प्रमाद- प्रमाद का अर्थ है, लापरवाही।  व्यक्ति काम तो करता है, पर पूरे ध्यान से नहीं करता। लापरवाही करता है। और उसमें गलतियां होती रहती हैं। आलस्य- शरीर अथवा [...]

अकर्मण्यता, प्रमाद और आलस्य में अन्तर2025-05-19T05:36:34+00:00

आखिर उपासना होती क्या है

आखिर उपासना होती क्या है? उपासना में मंत्र उच्चारण करने होते हैं कि नहीं? उपासना, क्या सन्ध्या से भिन्न है? आंख बंद करके बैठना, प्राणायाम करना आदि क्रियाएँ करना उपासना में सहायक तो हो सकतीं है, परन्तु इनका उपासना से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है। उपासना का एक मौलिक [...]

आखिर उपासना होती क्या है2025-05-17T07:01:53+00:00

क्या सभी के पास एक जैसी बुद्धि होती है

क्या सभी के पास एक जैसी बुद्धि होती है? विद्वानों का मानना है कि सभी के पास एक जैसी बुद्धि होती है। परन्तु, हम प्रत्यक्ष देखते हैं कि कुछ लोग किसी बात को समझ ही नहीं पाते, जबकि अन्य लोग उसी बात को शीघ्रता से समझ जाते हैं। इसी तरह, [...]

क्या सभी के पास एक जैसी बुद्धि होती है2025-05-14T11:06:15+00:00

भाग्य

भाग्य इस विषय पर दो अवधारणाएँ हैं। पहली अवधारणा- हमारे पूर्व-जन्मों में किए कर्मों का फल ईश्वर हमें जन्म के समय जाति, आयु और भोग के रुप में व सन्तान प्राप्ति के समय आने वाली आत्मा और हमारे कर्मों के बीच की एकरुपता के रुप में देता है। [...]

भाग्य2025-06-05T06:45:33+00:00

व्यक्तित्व विकास

व्यक्तित्व विकास ऊपर दिए गए व्यक्तित्व विकास के सूत्रों से कुछ बातें अनुत्तरित रह जाती हैं। आजकल के Motivational Speakers द्वारा कही जाने वाली सभी बातें पूर्णतया असत्य नहीं होती। ऐसे में, आजकल Personality Development पर प्रचलित साहित्य और ऊपर दिए गए वीडियो में संगति बैठाना आवश्यक हो जाता [...]

व्यक्तित्व विकास2025-05-13T01:37:29+00:00

ईश्वर का सान्निध्य हमें कैसे अभयता प्रदान करता है

ईश्वर का सान्निध्य हमें कैसे अभयता प्रदान करता है? ईश्वर का सान्निध्य हम दो तरह से प्राप्त कर सकते हैं। पहला, व्यवहार काल में व दूसरा उपासना काल में। पहले हम व्यवहार काल में प्राप्त ईश्वर के सान्निध्य की बात करते हैं। व्यवहार काल में हम जितना-जितना ईश्वर [...]

ईश्वर का सान्निध्य हमें कैसे अभयता प्रदान करता है2025-05-03T03:26:08+00:00

धार्मिकता फलीभूत कब नहीं होती

धार्मिकता फलीभूत कब नहीं होती? आज हमारे देश में तथाकथित धार्मिकों की संख्या बहुत अधिक होने के बावजूद हम अन्धकार में पड़े हैं। इन तथाकथित धार्मिकों में से बहुत कम वास्तविक धर्म को समझते हैं और वे भी अन्धकार में पड़े हैं अर्थात उनकी भी धार्मिकता फलीभूत नहीं [...]

धार्मिकता फलीभूत कब नहीं होती2025-03-05T10:28:15+00:00

अंध-विश्वास के पनपने के कारण

अंध-विश्वास के पनपने के कारण अंध-विश्वास के पनपने का आधारभूत कारण है, कारण कार्य सिद्धान्त का न जानना। कारण वो कहाता है, जिसके होने से कोई कार्य हो और जिसके न होने से वह कार्य न हो। इस परिभाषा के अनुसार किसी कार्य के कारण को जानने के [...]

अंध-विश्वास के पनपने के कारण2024-12-29T10:00:36+00:00

संस्कृत सीखने के लिए

यहाँ, संस्कृत भाषा को सिखाने के लिए कुछ साईट्स सुझाई जा रही हैं। परन्तु, संस्कृत भाषा को सीखने का उद्देश्य हमारे मन में साफ होना चाहिए। संस्कृत भाषा को सीखने का अन्तिम उद्देश्य तो वेद, जो कि वैदिक संस्कृत में हैं, को समझना ही होना चाहिए। सारे का सारा वैदिक [...]

संस्कृत सीखने के लिए2025-06-06T09:38:08+00:00

बुद्धि और तर्क

बुद्धि और तर्क ठीक जैसे आंख, कानादि ईश्वर ने हमें देखने, सुनने के लिए दिए हैं, वैसे ही संसार की भिन्न-भिन्न वस्तुओं का निश्चयात्मक ज्ञान कराने के लिए ईश्वर ने हमें बुद्धि नामक यंत्र प्रदान किया है। जैसे आँख होते हुए भी, आँख का प्रयोग देखने के लिए [...]

बुद्धि और तर्क2024-12-22T11:32:07+00:00
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