सत्व, रजस और तमस का प्रभाव

हमारे स्थूल शरीर, मन आदि प्राकृतिक तत्वों- सत्व, रजस और तमस से बने हैं। इन तत्वों के स्वभाव का पता होने पर हम अच्छी तरह से अपने व दूसरों के बारे में जान सकते हैं।

प्रत्येक सांसारिक वस्तु में प्रकृति के तीनों तत्व अर्थात सत्व, रजस और तमस विद्यमान रहते हैं। हमारा मन, जो प्रकृति से ही बना है, में मूलतः सत्व तत्व का आधिक्य होता है। परन्तु, हमारे संस्कारों के कारण हमारा मन रजस और तमस तत्वों से प्रभावित हो जाता है। जब किसी व्यक्ति में सत्व तत्व का आधिक्य होता है, अर्थात जब उसमें रजस और तमस की तुलना में सत्व तत्व की प्रधानता होती है या रजस तत्व का आधिक्य होता है, अर्थात जब उसमें सत्व और तमस की तुलना में रजस तत्व की प्रधानता होती है या तमस तत्व का आधिक्य होता है, अर्थात जब उसमें सत्व और रजस की तुलना में तमस तत्व की प्रधानता होती है, तो इस बात का पता हमें उसके व्यवहार से लगने लगता है। आगे की पंक्तियों में इसी बात को ओर अधिक स्पष्टता से बताया गया है-

सत्व तत्व का आधिक्य होने पर-

1 वह व्यक्ति दूसरों के कष्टों के प्रति ओर अधिक संवेदनशील अर्थात करुणामय हो जाता है।

2 वह व्यक्ति अपनी उपलब्धियों का उल्लेख करने से बचता है। वह ऐसा तभी करता है, जब ऐसा करना दूसरों के हित के लिए आवश्यक हो।

3 ऐसा व्यक्ति दूसरों के हित के लिए अपने जीवन के सुखों को त्यागने के लिए तत्पर रहता है।

4 ऐसे व्यक्ति की इन्द्रियों के विषयों में रुचि कम हो जाती है।

5 ऐसे व्यक्ति का झुकाव आस्तिकता की तरफ हो जाता है और उसका आचरण धार्मिकतापूर्ण हो जाता है। परिणामस्वरूप, उसकी बुद्धि और स्मृति अधिक अच्छी हो जाती है व वह धैर्यवान हो जाता है।  

रजस तत्व का आधिक्य होने पर-

1 ऐसा व्यक्ति सदा परेशान रहता है।

2 अपने शौक के लिए घूमना उसे अच्छा लगता है।

3 ऐसे व्यक्ति के व्यवहार में अहंकार का पुट बहुत ज्यादा होता है। वह मानता है कि उस जैसा कोई नहीं है। उसे सम्मान मिलना बहुत अच्छा लगता है। सम्भवतः सम्मान उसके अहंकार को तुष्ट करता है।

4 ऐसा व्यक्ति ज़रा सी बात पर खुश हो जाता है और ज़रा सी बात पर क्रोधित हो उठता है।

5 अच्छी बुद्धि के अभाव में वह धार्मिकता के नाम पर अन्ध-विश्वास और पाखण्ड में फंस जाता है। उसकी स्मृति भी अच्छी नहीं होती और वह धैर्यहीन भी होता है। 

तमस तत्व का आधिक्य होने पर-

1 ऐसे व्यक्ति को वाद की बजाए विवाद करना अच्छा लगता है। 

2 ऐसे व्यक्ति का सारे का सारा व्यवहार अधर्मपूर्ण होता है। उसकी धर्म में कोई रुचि नहीं होती।

3 ऐसे व्यक्ति को नींद बहुत आती है और भूख भी बहुत लगती है।

4 ऐसा व्यक्ति अज्ञान से आच्छादित रहता है।

5 ऐसा व्यक्ति दूसरों में कमियाँ ढूंढता रहता है।