प्रश्न १२– राजा या न्यायाधीश किसी को जो दण्ड या पुरस्कार देता है, क्या वह कर्मफल नहीं है? यदि है तो फिर ईश्वर के अतिरिक्त भी कर्मफल देने वाले हुए।
उत्तर– जैसा कि कहा जा चुका है कि वेदों में परमेश्वर ने मानवमात्र के लिए कर्तव्य–अकर्तव्य का उपदेश दिया है। किन–किन परिस्थितियों में कैसे, कब और किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? यह सब वेदों और उनके अनुकूल शास्त्रों के अध्ययन से मनुष्य ज्ञात कर सकता है। राजा के कर्तव्यों का भी वेदों में विस्तार से वर्णन किया गया है। राजा जो दण्ड या पुरस्कार देता है, वह उसका कर्तव्य है। यदि वह उसे ठीक–ठीक निर्वाह नहीं करता तो वह स्वयं दण्ड का भागी है। उसके कर्मों का फल भी ईश्वर ही देता है। महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं–
‘फल देने वाला ईश्वर है, जैसे कोई चोर डाकू स्वयं बन्दीगृह में जाना नहीं चाहता राजा उसको अवश्य भेजता है, धर्मात्माओं के सुख की रक्षा करता, भुगाता, डाकू आदि से बचाकर उनको सुख में रखता, वैसे ही परमात्मा सबके पाप–पुण्य के दुख सुख रूप फलों को यथावत् भुगाता है।’
इस उद्धरण में स्पष्ट ही कर्मफल प्रदाता केवल ईश्वर को स्वीकार किया गया है। राजा, न्यायाधीशादि सब कुछ अपने स्वतन्त्र कर्म करते हैं और कुछ उनके कर्म अन्यों के भोग में निमित्त होते हैं। यहां थोड़ा गम्भीरता से विचार करना चाहिए कि परमेश्वर ने सृष्टि के अन्दर ऐसी व्यवस्था की है कि जीव अपने कर्म भी करता है और साथ-साथ पूर्वजन्म तथा वर्त्तमान जन्म के कुछ कर्मों का फल भी भोगता है। अब प्रश्न यह कि जीव किन साधनों से अपने कर्मफल का भोग करता है? तो इसका उत्तर यह है कि संसार की सभी वस्तुएं और सभी जीव आपस में एक दूसरे के भोग को भुगाने में सहायक होते हैं। राजा अपने कर्तव्यानुसार किसी चोर को जो दण्ड देता है, वह कर्म चोर के भोग का साधन है। यदि राजा का दण्ड चोर के कर्मानुसार उपयुक्त दण्ड से न्यून या अधिक है, तो राजा का कर्म अन्याय होने से पाप कोटि में आ जायेगा जिसका फल उसे परमेश्वर की व्यवस्था में भोगना पड़ेगा और यदि समान है तो वह शुभकर्म होने से पुण्य कहलायेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि जिसका जिसके प्रति जो कर्तव्य है, यदि वह उसे पूर्ण करता है तो धर्म होने से सुख, और कर्तव्य को न करने अथवा अन्याय करने से अधर्म होने से ईश्वर की व्यवस्था में दुख भोगता है। इसलिये कर्मफल प्रदाता तो एक ईश्वर ही है राजा आदि तो भोग भुगाने के साधन हैं।
-डाक्टर धीरज कुमार आर्य
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