प्रश्न – क्या कुदिन व सुदिन भी होते हैं?

उत्तर- दिन तो काल की सीमा का वाचक है। यह कोई चेतन वस्तु नहीं है, जो अपना प्रभाव किसी पर डालती हो। सूर्योदय से सूर्यास्त तक का काल दिन कहलाता है और सूर्यास्त से सूर्योदय का काल रात्रि कहलाती है। यह अवधि न अच्छी होती है न बुरी। हाँ, किसी दिन घटना विशेष के घट जाने पर वे दिन उस घटना विशेष से जुड़े होने के कारण विशेष दिन बन जाते हैं। यथा किसी दिन भूकम्प आ जाता है, तूफान आ जाता है, बाढ़ आ जाती है या शत्रु का आक्रमण हो जाता है, तो उस दिन दुख विशेष उत्पन्न हो जाने के कारण उस दिन को बुरा या कुदिन कहते हैं।

उसी प्रकार किसी दिन धन मिलता है, किसी कार्य में सफलता मिलती है या किसी के साथ मिलन होता है, किसी का जन्म होता है, बन्धन या ऋण से मुक्ति होती है, अन्य कोई विशेष उपलब्धि होती है या लाभ होते हैं, तो खुशी उत्पन्न होने के कारण उस दिन को सुदिन या अच्छा दिन कह दिया जाता है।

वास्तव में किसी घटना विशेष के घटने के कारण वे दिन सुदिन या कुदिन कहलाते हैं, न कि किन्हीं विशेष दिनों के कारण कोई अच्छी या बुरी घटना घटती है। जो लोग यह मानते हैं कि जब व्यक्ति के अच्छे दिन आते हैं, तो जीवन में सुख, शान्ति, स्वास्थ्य, धन, प्रतिष्ठा, सफलता आदि की प्राप्ति होती है, और बुरे दिन आते हैं, तो जीवन में परिवार में दुख, अशान्ति, रोग, वियोग, असफलता, अपयश आदि की प्राप्ति होती है, तो यह मान्यता नितान्त मिथ्या है। सत्य तो यही है कि अच्छे और बुरे दिन घटनाओं के अच्छे और बुरे घट जाने के कारण बन जाते हैं न कि अच्छे और बुरे दिनों के कारण अच्छी या बुरी घटनाएँ घटती हैं।