प्रश्न – क्या कर्म स्वयं ही अर्थात ‘बिना ईश्वर के’ फल दे सकता है? कर्म जब क्षण में समाप्त होकर नष्ट हो जाता है तो ईश्वर भी कैसे कर्मों का फल देगा?
उत्तर- बिना ही ईश्वर के स्वयं कर्म, कर्म के कर्त्ता- जीव को कर्मों का फल दे देता हो, ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि, कर्म तो एक क्रिया का नाम है, जो एक क्षण में होकर समाप्त हो जाता है। कर्म जब स्वयं ही रहता नहीं है, तो फल क्या देगा?
जब जीव कर्म करता है, तो उसका ज्ञान ईश्वर को हो जाता है। किए हुए कर्म के ज्ञान के संस्कार के आधार पर ही ईश्वर जीव को फल देता है। इतना तो कहना सत्य है कि जीव को फल देने में कर्म आधार तो बनते हैं, किन्तु स्वयं क्षणिक क्रिया रूप होने से फल नहीं दे सकते।
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