प्रश्न – कर्म का फल कब मिलता है? कर्म करने के कितने समय पश्चात् फल मिलता है?

उत्तर- कर्मों का फल शीघ्र मिलता है और विलम्ब से भी। यह आवश्यक नहीं है कि कर्म करते ही फल तत्काल मिल जाए। कर्म का फल और उसके काल का निर्धारण कर्म के प्रकार के अनुसार होता है। किसी कर्म का फल तत्काल भी मिल जाता है तो किसी का कुछ मास के पश्चात् तथा कुछ का वर्षों के पश्चात् भी मिलता है। जिन कर्मों का फल इस जन्म में नहीं मिलता है उनका फल अगले जन्म में मिलता है।

उदाहरण- पालक आदि सब्जी मात्र १-२ मास में ही हो जाती है, गेहूँ-चना ४-५ मास में होते हैं तो आम, अनार आदि का फल ५-६ वर्ष में आते हैं। सुपारी, नारियल ८-९ वर्ष में आते हैं। ऐसे ही कर्म के फल के विषय में समझना चाहिये।

जिन कर्मों का फल माता-पिता, गुरु, आचार्य, सम्बन्धी, स्वामी, समाज, आदि द्वारा दे दिया जाता है, उनका फल इसी जन्म में मिल जाता है। किन्तु, जिन कर्मों का फल उपयुक्त माता-पिता, स्वामी, राजा आदि व्यक्ति द्वारा नहीं दिया जाता या कम दिया जाता है उसका फल अगले जन्म में ईश्वर द्वारा दिया जाता है।

कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि इस जन्म में किए गए कर्मों का फल इस जन्म में नहीं मिलता, बल्कि अगले जन्म में मिलता है और इस वर्त्तमान जन्म में हम जो फल प्राप्त कर रहे हैं वह पूर्व जन्म के कर्मों का फल है। इस जन्म में कर्मों का किंचित् मात्र भी फल नहीं है। ऐसा मानना ठीक नहीं है।

इस जीवन में हमें जो सुख-दुख मिल रहा है, वह सब इसी जीवन के कर्मों का फल नहीं है, इसमें बहुत सा भाग पिछले जन्म का भी है और जो कर्म हम वर्तमान जीवन में कर रहे हैं, उन सब का फल इसी जीवन में नहीं मिलेगा। कुछ का तो मिलेगा, शेष कर्मों का फल अगले जीवन में मिलेगा।