ईश्वर को प्राप्त करने के मायने क्या होते हैं?

-आचार्य अंकित प्रभाकर

इसी संदर्भ में एक और शब्द बहुत प्रयोग किया जाता है, वह है- ईश्वर-साक्षात्कार। किसी वस्तु को प्राप्त करने के अर्थ होता है, उस वस्तु से जितना लाभ लिया जाना सम्भव हो, उतना ले लेना। उदाहरणार्थ- जब हम कहते हैं की हमने भोजन पा लिया, तो उसका सामान्य सा अर्थ होता है कि हमने भोजन खा लिया अर्थात उस भोजन से, जो हमने भूख मिटानी थी, वो मिटा ली। इसी तरह ईश्वर को प्राप्त करने का अर्थ होता है- ईश्वर से जितना लाभ लिया जा सकता था, उतना ले लेना अथवा उससे उत्पन्न भावनाओं की पराकाष्ठा।