ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को जानने के लाभ
- हमारा शरीर, बुद्धि, इन्द्रियाँ, नदियाँ, पहाड़, सूर्य, अन्न, वनस्पतियां आदि, जिनसे हम सब तरह के सुख उठाते हैं और भिन्न भिन्न वैज्ञानिक खोजें आदि करते हैं, ईश्वर की ही देन हैं। ईश्वर के इस योगदान को स्वीकार करना ईश्वर नाम की सत्ता का प्रथम लाभ है। इससे हमारे अन्दर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता के भाव उत्पन्न होते हैं और हम ईश्वर के अन्य लाभों को समझ पाने के समर्थ हो जाते हैं।
- ईश्वर को सही सही जानना हमें प्रसन्न रखता है।
- ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को न समझने के कारण ही आज हमारा नैतिक जीवन स्तर अत्यन्त गिर गया है।
- ईश्वर के सच्चे स्वरूप में श्रद्धा और विश्वास बढ़ाने से मनुष्य की दुख, पीड़ा, बन्धन, भय, शोक, चिन्ताओं आदि का स्वयमेव नाश हो जाता है।
- जो मनुष्य अपने आप को शरीर से भिन्न आत्मा नहीं मानता है, ऐसे व्यक्ति के विचार शरीर से परे जा ही नहीं सकते। शरीर से अलग नित्य आत्मा की सत्ता को मानने वाले और ईश्वर पर विश्वास करने वाले कहते हैं कि मृत्यु मेरा अन्त नहीं है।
- ईश्वर पॉजिटिव गुणों का भण्डार है। इन पॉजिटिव गुणों को प्राप्त करके ही हम अपने दायित्वों का भलि-भांति निर्वाह कर सकते हैं।
- ईश्वर स्वभाव से शुद्ध, आनन्दमयी और अविद्या से दूर है। उसके इस स्वरूप को आत्मसात किए बिना हमारा ज्ञान, कर्म और उपासना शुद्ध नहीं हो सकते।
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