सत्य को स्वीकार कर पाने में बाधाएं
-सत्य को न मानने के पीछे दो मूलभूत कारण हैं और वे हैं- हमारी जिद और अपने विश्वासों के विरुद्ध न जाने की हमारी मानसिकता।
-आम तौर पर क्या होता है कि हम अपने बर्तन को अपने पहले के विश्वासों से भरा रखते हैं और साथ ही साथ कुछ ओर जानने के लिए अपनी उत्सुकता दिखाते हैं। नियम है कि ‘किसी बर्तन में द्रव्य तभी डाला जा सकता है, जब उस बर्तन में कुछ जगह हो।’ अधिक जानने की उत्सुकता के साथ-साथ हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे विश्वासों के बर्तन में नए विश्वासों को आत्मसात करने के लिए कुछ जगह हो, अन्यथा हम खुले विचारों वाले न होकर पाखंडी कहलाएंगे।
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