प्रश्न – नियत विपाक कर्मों, जिन कर्मों का फल मिलना निश्चित हो गया है, ऐसे कर्म का फल जन्म धारण के समय ही एक साथ पूरा का पूरा मिल जाता है या बाद में भी मिलता रहता है?
उत्तर- नियत विपाक कर्मों का फल जाति, आयु और भोग के रूप में मिलता है, परन्तु यह जन्म के समय ही एक साथ नहीं मिलता। इस जन्म में किये गये सभी कर्मों का बड़ा महत्वपूर्ण फल अगले जन्म में जाति अर्थात् शरीर के रूप में मिलता है। यह शरीर रूपी फल तो एक बार ही जन्म धारण के समय ही मिल जाता है। नियत विपाक का दूसरा फल आयु के रूप में मिलता है। यह आयु अर्थात् जीवनकाल पूर्व कर्मों के अनुसार निश्चित होती है, किन्तु वर्त्तमान के कर्मों के परिणाम व प्रभाव से इसे घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है। इसका वर्णन अन्यत्र प्रश्न में किया गया है, वहाँ देखें। नियत विपाक कर्मों का तीसरा फल ‘भोग’ होता है। भोग का तात्पर्य यहाँ पर जिन साधनों से मनुष्य अर्थात् प्राणी को सुख-दुख की प्राप्ति होती है, उनका ग्रहण करना चाहिये। यथा भोजन, वस्त्र, भवन, सोना-चांदी, भूमि, रुपया-पैसा आदि। यह भोग भी मनुष्य वर्त्तमान के कर्मों के परिणाम-प्रभावों से घटा-बढ़ा भी सकता है।
सिद्धान्त यह बना कि नियत विपाक कर्मों का फल जन्म धारण के समय भी मिलता है और आगे जीवन भर यथा अवसर शरीर, इन्द्रिय, मनादि से किये गए कर्मों से प्राप्त धनादि के माध्यम से मिलता ही रहता है।
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