प्रश्न – क्या जीव कर्म करते हुवे थक जाता है?
उत्तर- नहीं, जीव कभी भी कर्म करता हुआ थकता नहीं है। शरीर, इन्द्रिय, मनादि जीव के करण अर्थात साधन थकते हैं। क्योंकि ये शरीरादि करण प्रकृति से बने होते हैं, उनका सामर्थ्य, शक्ति सीमित होती है अतः थक जाते हैं और जीवात्मा के लिए बाह्य कार्यों को करना बन्द कर देते हैं। व्यवहार में कार्य करते हुवे यह कह दिया जाता है- ‘मैं थक गया’ किन्तु वास्तव में जीव नहीं थकता, जीव के शरीरादि साधन थकते हैं। इस विषय में यह भी जानना चाहिये कि जीवात्मा सोता भी नहीं है। जीवात्मा के ये शरीर, मनादि उपकरण ही सोते हैं।
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