प्रश्न – क्या जीवनमुक्त व्यक्ति से मिश्रित अर्थात शुभाशुभ कर्म होते हैं?

उत्तर- जीं हाँ, जीवनमुक्त व्यक्ति भी मिश्रित कर्म करता है। यद्यपि यह जान-बूझकर योजना बना कर हिंसा आदि कर्म नहीं करता। पुनरपि अज्ञानवशात् शीघ्रता में, बिना पूर्ण परीक्षण के कहीं न कहीं, किसी न किसी विषय में हिंसा, असत्य आदि का प्रयोग हो भी सकता है तथा जीवनमुक्त व्यक्ति भी शरीरधारी है। शरीर से चलने, फिरने, खाने-पीने से सम्बन्धित अनेक क्रियाएँ करता है। इन सभी क्रियाओं को करने में कुछ न कुछ तो हिंसा आदि कर्म हो ही जाते हैं। शास्त्रकार ने भी कहा है-

किसी प्रकार की हिंसा किए बिना भोगों व भोग सामग्री को प्राप्त करना संभव नहीं है।

-योगदर्शन-व्यासभाष्य २//१५

इसलिए, यही सिद्धान्त बनता है कि जीवन मुक्त व्यक्ति से अज्ञानादि कारणों से भी मिश्रित कर्म होते हैं।