प्रश्न – क्या कोई अपने कर्मों का फल दूसरे को दे सकता है?
उत्तर- अपने किये हुवे कर्मों का फल व्यक्ति को स्वयं ही भोगना पड़ता है। अपने कर्मों का फल कोई व्यक्ति किसी अन्य को नहीं दे सकता। एक आत्मा द्वारा किए गए पाप-पुण्य रूप धर्माधर्म का फल दूसरी आत्मा को नहीं मिलता। वे गुण दूसरे के सुख-दुख के लिए कारण नहीं बनते। इसलिए कोई भी दूसरे द्वारा किए कर्मों का फल नहीं भोगता, किन्तु स्वयं कृत कर्मों के फलों को ही भोगता है। यदि अन्य के कर्म का फल अन्य को प्राप्त होना मान लिया जाए, तो शास्त्र के अनुसार ‘कृतहानि अकृत-अभ्यागम’ रूपी अन्याय का दोषी ईश्वर बन जाएगा। ईश्वर की न्याय व्यवस्था में ऐसा अन्याय नहीं होता।
वर्त्तमान धार्मिक समाज में ऐसी परम्परा देखी जाती है कि कुछ लोग यज्ञ, जप, तप, आदि अन्यों से करवाते हैं और ऐसा मानते हैं कि उन पण्डित, साधु, पुजारी आदि के द्वारा किये गये जप-तपादि का फल उन्हें मिल जायेगा, उनके पापों में कमी हो जाएगी। परन्तु ऐसा मानना ठीक नहीं है, यदि ऐसा होता तो धनवान् बलवान्, विद्वान व्यक्ति निर्धन, निर्बल, निर्बुद्धि व्यक्तियों को धन, बल आदि के द्वारा डरा-धमकाकर प्रलोभन देकर अपने सारे पाप कर्मों को अन्यों को दे देते तथा अन्यों के अच्छे कर्म को खरीद लिया करते। किन्तु ऐसा नहीं होता है। इसी प्रकार की एक घटना ‘सारिका’ मासिक पत्रिका में कुछ वर्षों पूर्व प्रकाशित हुई थी। नेपाल सम्राट महेन्द्र जी की मृत्यु पर एक ब्राह्मण ने उनके पाप ले लिए। इस की कीमत के रूप में उसको बहुत धन सम्पत्ति दी गई। ऐसा माना गया कि महाराज स्वर्ग गए। वह ब्राह्मण भी कुछ दिन अज्ञात रहा, बाद में तीर्थयात्रा करके प्राप्त धन से मौज से रहने लगा। वस्तुतः ऐसी मान्यता दोषपूर्ण है व ईश्वर को पक्षपातपूर्ण सिद्ध करनेवाली है।
एक व्यक्ति को ५000 रुपये वेतन मिला, जो एक मास के कर्मों का फल है। उस व्यक्ति ने वह सारा का सारा वेतन किसी गरीब, रोगी, अनाथ, निर्धन व्यक्ति को दे दिया। ऐसी स्थिति में लगता है कि उस व्यक्ति ने अपना सारा फल किसी और को दे दिया, किन्तु ऐसा नहीं है। धन देने वाले का अपना धन देना एक नया कर्म बन जाएगा। जिसका फल ईश्वर भविष्य में देगा। इसी प्रकार कोई दोषी, पापी, अधर्मी व्यक्ति ने अपने बुरे कर्म का दोष किसी निर्दोष व्यक्ति पर लगाकर उसे दण्ड दिलवा देता है, तो वह अपने दोष से बच नहीं सकता है, बल्कि यह एक नया ही कर्म बन जाता है जिसका फल उसे भविष्य में मिलेगा।
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