कारण-कार्य सिद्धान्त

विज्ञान का मौलिक आधारभूत सिद्धान्त है कि कोई भी कार्य कारण के बगैर नहीं होता अर्थात यदि, कोई कार्य हुआ है, तो उसके पीछे उसका कोई कारण भी अवश्य होगा व यदि कोई कारण विद्यमान है, तो उसका कार्य भी अवश्य होगा। आज के विज्ञान ने जो भी उन्नति की है और जो भी उन्नति वह भविष्य में करेगा, वह सब इसी सिद्धान्त पर आधारित है।

कारण की परिभाषा– जिस वस्तु के होने से कोई कार्य हो और उस वस्तु के न होने से वह कार्य न हो, तो उस वस्तु को उस कार्य का कारण कहा जाता है। जैसे आग के संयोग से रोटी बनती है और आग के संयोग के बगैर रोटी नहीं बनती, तो इस उदाहरण में आग कारण है और रोटी कार्य।

लेकिन अचम्भे की बात है कि आज के अधिकतर वैज्ञानिक इस सिद्धान्त का प्रयोग सांसारिक वस्तुओं को जानने व समझने के लिए तो करते हैं, परन्तु जब बात आत्मा और परमात्मा को समझने की आती है, तो वे इस सिद्धान्त की सिरे से उपेक्षा करते दिखाई देते हैं।