प्रश्न – कर्म, क्रिया, प्रवृत्ति, चेष्टा, व्यापार, प्रयत्न ये शब्द पयार्यवाची हैं या भिन्न-भिन्न अर्थ वाले हैं?
उत्तर- दर्शन शास्त्र में सामान्यतः ये सभी शब्द पर्यायवाची ही हैं, इतना ध्यान देना आवश्यक है कि शरीर में कुछ चेष्टाएँ अथवा क्रियाएँ जीव की अनिच्छापूर्वक होती हैं, उनका कर्ममीमांसा से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। वे ईश्वर की व्यवस्था से शरीर की स्थिरता, रक्षा, वृद्धि हृास आदि की दृष्टि से होती हैं।
इन क्रियाओं के पीछे जीवात्मा की इच्छा विशेष कार्य नहीं करती हैं, जैसे, ईश्वर के बनाए हुए संसार में ग्रह-उपग्रह-नक्षत्रों का घूमना, वायु का चलना, नदियों का बहना, वृक्षों का हिलना क्रियाएँ तो कहलाती हैं किन्तु कर्ममीमांसा में ये क्रियाएँ कर्म की कोटि में नहीं आती हैं।
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