प्रश्न – कर्म करने के साधन कितने हैं?
उत्तर- नेत्रादि ज्ञानेन्द्रियाँ, हस्त-पाद आदि कर्मेन्द्रियाँ, मन, बुद्धि आदि अन्तःकरण आदि कर्मों के साधन अनेक बनते हैं, किन्तु इन समस्त कर्मों का आधार शरीर ही रहता है, क्योंकि समस्त करण, शरीर रूपी पिण्ड में ही स्थित हैं। ऋषियों ने विशेष लक्षणों के आधार पर कर्म करने के साधनों के तीन वर्ग बना दिए हैं। ये तीन वर्ग हैं- शरीर, वाणी और मन। जीवात्मा शरीर में स्थित होकर जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त जितने भी कर्म करता है, वे शरीर, वाणी तथा मन इन तीन साधनों द्वारा ही किये जाते हैं।