प्रश्न – आजकल प्रतिदिन हजारों की संख्या में गर्भ में ही उत्पन्न होने वाले शिशुओं को मारा जा रहा है तो क्या यह गर्भ में आने वाले जीव के कर्मों का फल है या माता-पिता का?
उत्तर–गर्भ का धारण माता-पिता की इच्छा से होता है और गर्भपात भी उन्हीं की स्वतंत्र इच्छा से होता है। अतः गर्भपात के कारण होने वाले भयंकर पाप के अपराधी गर्भपात कराने वाले, करने वाले तथा सहमति देने वाले सभी हैं। गर्भधारण करने वाले शिशु का इसमें कोई भी कर्म या कर्मफल नहीं है। न ईश्वर की ओर से कोई प्रेरणा या विधान है कि गर्भपात कराया जाए। अपितु, गर्भपात का निषेध है।
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